गोवा एक लोकप्रिय पर्यटन गंतव्य है। पर्यटन की दृष्टि से इसके दो भाग हैं, उत्तर गोवा एवं दक्षिण गोवा। गोवा राज्य के दो जिले भी यही हैं। पर्यटक अधिकांशतः उत्तर गोवा के पर्यटन स्थलों को ही प्रमुख मानते हैं तथा वहीं भ्रमण करते हैं। किन्तु दक्षिण गोवा में भी पर्यटन आकर्षणों की कोई कमी नहीं है। वहाँ के समुद्रतट तो अप्रतिम हैं ही, प्रकृति ने दक्षिण गोवा को अनेक आकर्षक जलप्रपातों, सघन वन्यजीव अभयारण्यों तथा लुभावने ग्रामीण क्षेत्रों से संवारा है तो अनेक दर्शनीय बांधों, समृद्ध धरोहरों, विविध संग्रहालयों, संपन्न ऐतिहासिक स्थलों जैसे आकर्षणों से अलंकृत किया है।
गोवा में निवास करते हुए मैंने गोवा के दक्षिणी भागों को निकट से देखा है। दीर्घ ग्रीष्म ऋतु, मनमोहक वर्षा ऋतु तथा लघु किन्तु लुभावने शीत ऋतु में दक्षिण गोवा की सुन्दरता को अनुभव किया है। आईये मैं आपको दक्षिण गोवा के विभिन्न आकर्षक पर्यटन स्थलों का भ्रमण कराती हूँ।
मैंने दक्षिण गोवा के विविध पर्यटन स्थलों के विषय में यहाँ चर्चा की है। आप अपनी रूचि तथा पर्यटन समयावधि व ऋतु के अनुसार इनका चुनाव कर सकते हैं।
दक्षिण गोवा के दर्शनीय पर्यटन आकर्षण
- दक्षिण गोवा के समुद्रतट
दक्षिण गोवा के समुद्रतट उत्तर गोवा के समुद्रतटों से भिन्न हैं। गोवा राज्य के दक्षिणी भागों में स्थित समुद्रतटों की बालू महीन व लगभग श्वेत रंग की है। किसी भी शुष्क दिवस में यदि आप इस महीन बालू पर अपने पैर रखेंगे तो आपको ऐसा प्रतीत होगा मानो आपने रेशम की ढेर पर पैर रख दिया हो। पैर यहाँ की चिकनी महीन बालू में धंसने लग जाते हैं। यहाँ की बालू पूर्णतः श्वेत नहीं है, अपितु लगभग श्वेत रंग की है।
दक्षिण गोवा के समुद्र तट
यहाँ के समुद्रतटों का आनंद उठाने का सर्वोत्तम समय है, प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व तथा संध्याकाल सूर्यास्त के समय। आप यहाँ समुद्रतट पर पैदल सैर कर सकते हैं, दौड़ सकते हैं, जल में क्रीड़ा कर सकते हैं या कहीं बैठकर अप्रतिम दृश्यों को निहार सकते हैं। कुछ समुद्रतटों पर रोमांचक जलक्रीड़ाओं की सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। वहीं जलपानगृहों में स्वादिष्ट व्यंजन भी उपलब्ध होते हैं। समुद्रतटों पर स्थित इन जलपानगृहों को शैक कहते हैं।
हवाई जहाज से गोवा के ऊपर उड़ते हुए आप नीचे देखें तो आपको गोवा का लंबा समुद्रतट दृष्टिगोचर होगा। गोवा का समुद्रतट लगभग १३२ किलोमीटर लम्बा है जिसके विभिन्न स्थानों पर भिन्न भिन्न नाम हैं जो उससे जुड़े गाँवों के नामों से व्युत्पन्न हैं।
- लोकप्रिय समुद्रतट
दक्षिण गोवा के सर्वाधिक लोकप्रिय समुद्रतटों में पालोले, अगोंडा, मोबोर, बेतूल, बेनौलिम, तितली, गलजीबाग, कोल्वा, उतोर्दा आदि सम्मिलित हैं।
दक्षिण गोवा के सभी समुद्रतट अत्यंत सुन्दर हैं। आपके ठहरने का स्थान तथा समुद्रतट तक पहुँचने के लिए वाहन की सुविधाओं के अनुसार आप उनका चुनाव कर सकते हैं। कोल्वा समुद्रतट सुन्दर तो है ही, यह समुद्रतट रोमांचक जलक्रीड़ाओं के लिए भी लोकप्रिय है। आप यहाँ पैरासेलिंग कर सकते हैं। ऊपर से नीचे का दृश्य बहुत आकर्षक प्रतीत होता है। उतोर्दा एक शांत समुद्रतट है। कोल्वा समुद्रतट पर उत्तर की दिशा में पैदल चलें तो कुछ दूरी के पश्चात आप उतोर्दा पहुँच जायेंगे, जहाँ आप लगभग अकेले भ्रमण कर रहे होंगे। यहाँ शैक भी अल्प संख्या में हैं।
यूँ तो पर्यटक गोवा में इन समुद्रतटों का आनंद उठाने के लिए आते हैं, किन्तु यहाँ आने का सर्वोत्तम समय प्रातःकाल एवं संध्याकाल है। दोपहर की उष्णता में समुद्रतटों में भ्रमण करना असुविधाजनक हो सकता है। तो प्रातः एवं संध्या के मध्य काल में गोवा में क्या करें? दक्षिण गोवा में समुद्रतटों के अतिरिक्त भी कई प्रकार के पर्यटन आकर्षण उपलब्ध हैं। उनके विषय में जानकारी प्राप्त कर अपनी यात्रा व भ्रमण नियोजित करें एवं उनका आनंद उठायें।
- दक्षिण गोवा के जलप्रपात
यदि आप वर्षा ऋतु में गोवा भ्रमण के लिए आये हुए हैं, अर्थात् जून मास से सितम्बर मास तक, इस काल में अधिकांश समुद्रतटों में जाना सुलभ व सुखद नहीं होता। इस काल में गोवा के ग्रामीण भाग अत्यंत आकर्षक हो जाते हैं। भिन्न भिन्न स्थानों पर अनेक जलप्रपात अपनी चरम आकर्षण में होते हैं। अधिकाँश जलप्रपातों तक पहुँचने के लिए वनीय क्षेत्र में पदयात्रा करनी पड़ती है। किन्तु उनमें कुछ जलप्रपात ऐसे हैं जहाँ तक पहुँचने के लिए अधिक श्रम नहीं करना पड़ता है।
- कुस्केम/कुस्कें जलप्रपात
कोटिगाओ राष्ट्रीय उद्यान के भीतर छुपा हुआ यह कुस्कें जलप्रपात एक अत्यंत मनोरम जलप्रपात है। यह एक मौसमी जलप्रपात है। इसीलिए इसके अवलोकन व आनंद लेने का सर्वोत्तम समय है, वर्षा ऋतु का अंतिम चरण या उसके तुरंत पश्चात अथवा मानसून के मध्य जब भी वर्षा कुछ समय विश्राम करना चाहती हो।
कुस्केम जलप्रपात
हाँ तक पहुँचने के लिए किंचित पदयात्रा करनी पड़ती है। साथ ही सही मार्ग में बने रहने के लिए उद्यान के भीतर निवास करते गाँववासियों की सहायता लेनी पड़ेगी।
- दूधसागर जलप्रपात
गोवा का सर्वाधिक लोकप्रिय जलप्रपात किसी के लिए अज्ञात नहीं है। जी हाँ, दूधसागर जलप्रपात। कर्णाटक एवं गोवा राज्यों की सीमा पर स्थित यह जलप्रपात भी भगवान महावीर अभयारण्य एवं मोल्लेम राष्ट्रीय उद्यान के मध्य स्थित है। मानसून में तथा उसके तुरंत पश्चात यह एक विहंगम जलप्रपात बन जाता है जिसकी तीव्रता शनैः शनैः कम होती जाती है।
दूधसागर जलप्रपात गोवा
यदि मैं आपसे कहूँ कि इस जलप्रपात के अवलोकन का सर्वोत्तम साधन रेलगाड़ी है, तो आप आश्चर्यचकित हो जायेंगे। यह रेलगाड़ियाँ दक्षिण-पश्चिम रेल मार्ग पर दौड़ती हैं जिनके भीतर से आप इस भव्य जलप्रपात का अवलोकन कर सकते हैं। कुछ ऐसी रेलगाड़ियाँ भी उपलब्ध है जो पर्यटकों को यहाँ तक लाती एवं ले जाती हैं किन्तु उनकी संख्या अधिक नहीं है।
दूधसागर झरने तक पहुँचने के लिए सड़क मार्ग भी है जो भगवान महावीर वन्यजीव अभयारण्य से होकर जाता है। यह मार्ग हरे-भरे जंगल एवं कलकल करती नदियों के भीतर से जाता है जो अत्यंत रोमांचक व मनमोहक होता है।
इसके लिए वनविभाग की अनुमति लेना आवश्यक है। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए केवल वन विभाग की जीपों को ही अनुमति प्राप्त है कि वे आपको मोल्लेम गाँव से दूधसागर तक ले जाएँ व वापिस लायें। यह पर्यटन मानसून के पश्चात आरंभ होता है तथा इसकी आरंभ तिथि भी वन विभाग ही निश्चित करता है।
नेत्रावली जलप्रपात
नेत्रावली जलप्रपात
नेत्रावली जलप्रपात अत्यंत सघन नेत्रावली वन्यजीव अभयारण्य के भीतर स्थित है। यहाँ तक पहुँचने के लिए पदभ्रमण एवं एक प्रशिक्षित गाइड की आवश्यकता होती है।
दक्षिण गोवा के वन्यजीव अभयारण्य
गोवा राज्य को प्रकृति ने अनेक नदियों, समुद्रतटों, द्वीपों, वन्यजीव अभयारण्यों व हरे-भरे सघन वनों से अलंकृत किया है। प्रकृति यहाँ की जैव-विविधता का पोषण भी करती है तथा संरक्षण भी करती है। गोवा में प्रकृति के सानिध्य में कुछ समय अवश्य व्यतीत करें, यहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लें, वन्यप्राणियों एवं पक्षियों का अवलोकन करें। दक्षिण गोवा के प्राकृतिक मणियों का आनंद उठाने के लिए आप इन स्थानों पर जा सकते हैं,
बोंडला वन्यजीव अभयारण्य एवं चिड़ियाघर
बोंडला वन्यजीव अभयारण्य एवं चिड़ियाघर आपको गोवा के ग्रामीण क्षेत्रों के सघन वनों का आनंद लेने, पक्षियों का अवलोकन करने व उनकी चहचहाहट सुनने का अवसर प्रदान करता है।
बोंडला के जीव जंतु
सौभाग्य से आपको प्राकृतिक वातावरण में विचरण करते कुछ वन्य प्राणियों के दर्शन भी हो सकते हैं। साथ ही आपको चिड़ियाघर के वन्यजीवों के अवलोकन का भी अवसर देता है। जल स्त्रोतों के तटों पर मगरमच्छों को देखना ना भूलें।
कोटिगाओ वन्यजीव अभयारण्य
कोटिगाओ वन्यजीव अभयारण्य किसी वनीय प्रदेश में विचरण करने व पदभ्रमण करने का मेंरा सर्वप्रिय स्थान है।
आप यहाँ शांति से विचरण कर सकते हैं, वृक्षों पर चढ़ सकते हैं तथा ऊँचाई से वन का दर्शन कर सकते हैं।
भगवान महावीर अभयारण्य एवं मोल्लेम राष्ट्रीय उद्यान
भगवान महावीर अभयारण्य एवं मोल्लेम राष्ट्रीय उद्यान का भ्रमण आप दूधसागर जलप्रपात के अवलोकन के साथ नियोजित कर सकते हैं।
दक्षिण गोवा के संग्रहालय
गोवा के संग्रहालयों ने गोवा के विविध धरोहरी संपत्ति को अनेक अनूठी रीतियों से संरक्षित व प्रदर्शित किया है। उनमें से कुछ हैं,
गोवा चित्र एवं चक्र संग्रहालय
गोवा चित्र एवं चक्र संग्रहालय राज्य की जातीय पृष्ठभूमि एवं उसके चक्र को समर्पित है। बनोलिम नगर में स्थित इस संग्रहालय में गोवा की पारंपरिक जीवनशैली से संबंधित वस्तुओं का संग्रह है।
गोवा एक कृषि प्रधान राज्य रहा है। इस संग्रहालय में भी कृषि संबंधित अनेक वस्तुएं देखी जा सकती है। गोवा के इस संग्रहालय द्वारा आप मानवशास्त्र व समाजशास्त्र के उस अनमोल चक्र को समझ सकेंगे जिस पर मानवजाति समय समय पर अग्रसर होती रहती है।
बिगफूट संग्रहालय, क्रॉस/क्रूस संग्रहालय एवं पुर्तगाली धरोहर को संजोया एक पुर्तगाली निवास
गोवा की पुरातन संस्कृति एवं जीवनशैली को सादगी भरी अनूठी रीति से समझना हो तो आप बिगफूट संग्रहालय अवश्य जाएँ। क्या आप जानते हैं कि ईसाइयों के क्रॉस अथवा क्रूस का विश्व भर में विशालतम संग्रह गोवा में ही है?
नौसेना उड्डयन संग्रहालय/ Naval Aviation Museum
इस संग्रहालय में नौसेना के इतिहास एवं नौसैनिक हवाई जहाज़ों को प्रदर्शित किया है। इस संग्रहालय में आप आइ एन एस विराट का एक प्रतिरूप भी देख सकते हैं।
दक्षिण गोवा के ग्रामीण भाग, बाँध एवं वनस्पति उद्यान
गोवा राज्य में अन्जुने बाँध तथा अमथाने बांध जैसे छोटे बाँध हैं तो इसके दक्षिणी भाग में एक अत्यंत ही अनूठा बाँध है, सालावाली अथवा सलौलिम बाँध। डकबिल स्पिलवे तकनीक से निर्मित यह बाँध अर्धगोलाकार है जिसमें कोई भी द्वार नहीं है। बाँध का अतिरिक्त जल वापिस नदी में गिर जाता है जो उसे वहाँ से समुद्र तक ले जाती है।
मानसून ऋतु में यह बाँध अत्यंत दर्शनीय हो जाता है। यह झरने जैसा ही प्रतीत होता है।
सालावाली बाँध एवं वनस्पति उद्यान
डकबिल स्पिलवे तकनीक से निर्मित सालावली/सलौलिम बाँध स्वयं में एक अनूठा बाँध है। इसका सम्पूर्ण परिसर हराभरा एवं विस्तृत है।
यहाँ का वनस्पति उद्यान भी अत्यंत समृद्ध है। वनस्पति उद्यान में रूचि रखने वालों के लिए यह एक उत्तम अवसर है।
बुडबुड ताल अथवा बुलबुलों वाला सरोवर एवं मसाला उद्यान
दक्षिण गोवा के नेत्रावली क्षेत्र में स्थित गोपीनाथ मंदिर के जलकुंड की एक अद्भुत विशेषता है। इसके समीप ताली बजाने पर इसके भीतर से बुलबुले निकलते हैं। आप भी अनुभव करना चाहते हैं? तो बुडबुड ताल अवश्य जाएँ। इसके समीप ही मसाला उद्यान है जहाँ होमस्टे की सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। नेत्रावली जलप्रपात भी समीप ही स्थित है।
गोवा में इसके अतिरिक्त भी अनेक मसाला उद्यान हैं जहाँ वे आपको भिन्न भिन्न प्रकार के मसालों के पौधे व वृक्ष दिखाते हैं। जिन मसालों का हम भोजन बनाने में प्रयोग करते हैं, उनके पौधे अथवा वृक्ष देखना, उनकी खेती के विभिन्न चरणों को जानना आदि स्वयं में एक अनोखा अनुभव होता है।
तितली संरक्षण व संवर्धन उद्यान
यह एक चिकित्सक पति-पत्नी का व्यक्तिगत प्रयास है जो प्रकृति संरक्षण एवं संवर्धन की ओर एक सराहनीय उपलब्धि है। इस तितली संरक्षण उद्यान में गोवा में पायी जाने वाली तितलियों की लगभग सभी प्रजातियों का संवर्धन किया जा रहा है। यहाँ आपको प्राकृतिक परिप्रेक्ष्य में तितलियों के संवर्धन के विभिन्न चरणों की भी जानकारी प्राप्त होगी।
दक्षिण गोवा के मंदिर
प्राचीनकाल में गोवा के सम्पूर्ण दक्षिणी भाग में अनेक मंदिर थे। पुर्तगाली आक्रमणकारियों ने उनमें से अधिकाँश मंदिरों को नष्ट कर दिया था। कई मंदिरों के पुरोहित देवी-देवताओं के विग्रहों को लेकर फोंडा के राजा की शरण आये थे जहाँ उन मंदिरों का पुनः निर्माण किया गया। आकर्षक स्थापत्य शैली में निर्मित गोवा के मंदिरों की भव्यता आपको अचंभित कर देगी। हमने गोवा के सर्वाधिक आकर्षक व लोकप्रिय प्रमुख मंदिरों की सूची बनाई है जिनका अवलोकन आप आधे दिन में पूर्ण कर सकते हैं।
यदि आप अपना गोवा भ्रमण सुनियोजित कर सकें तो आप यहाँ के देवकी कृष्ण मंदिर में आयोजित चिखल कालो उत्सव देख सकते हैं। यह एक उल्हासपूर्ण उत्सव होता है। उसी प्रकार साखली के अनंत मंदिर में आयोजित देवदीपावली का उत्सव भी अत्यंत दर्शनीय होता है। ऐसे उत्सव आपने अन्यथा कहीं नहीं देखे होंगे।
गोवा के ऐतिहासिक धरोहर
पुर्तगाली युग के निवासस्थान
गोवा की प्राचीन राजधानी का नाम था, चांदोर। चांदोर में अब उस युग की धरोहर के नाम पर अधिक कुछ शेष नहीं है। किन्तु यहाँ पुर्तगाली युग की कुछ विशाल भव्य इमारतें अब भी शेष हैं। उनमें से मेनेजेस ब्रेगेन्ज़ा जैसे कुछ निवास स्थान सार्वजनिक दर्शन के लिए खुले रहते हैं।
रशोल सेमिनरी/पादरी शिक्षा संस्थान
एशिया की प्राचीनतम एवं विशालतम सेमिनरी अथवा पादरियों की शिक्षा संस्थानों में से एक, रशोल सेमिनरी गोवा में है। इस परिसर की संरचना एवं वास्तुशैली दर्शनीय है।
दक्षिण गोवा के प्राचीन दर्शनीय स्थल
क्या आप जानते हैं, विश्व की प्राचीनतम ज्ञात भंवरजाल अथवा शैलचित्र दक्षिण गोवा की एक नदी के तल पर स्थित है? उन्हें देखने के लिए आपको उसगलीमोल या पन्सोईमोल जाना पड़ेगा। शरावती नदी के तट पर आप विविध प्रकार के शैलोत्कीर्ण देखेंगे जिनमें पशुओं, मानव जन्म के दृश्यों आदि को प्रदर्शित किया गया है। वहाँ भंवरजाल अथवा भूलभुलैया के समान प्राचीन शैलचित्र भी हैं। प्रागैतिहासिक काल के ये शैलोत्कीर्ण गोवा राज्य में पनपते अखंड जीवंत सभ्यता के सर्वोत्तम साक्ष्य हैं।
इन शैलोत्कीर्णों के समीप ही प्राचीन रिवोना गुफाएं भी हैं।
दक्षिण गोवा में पक्षी दर्शन
गोवा राज्य लघुतम राज्य होने के पश्चात भी भारत के सर्वाधिक जैव-विविधता युक्त राज्यों में से एक है। गोवा के लगभग सभी खेतों, आर्द्र भूमि तथा नदी तट पर आप विविध प्रजातियों के प्रवासी एवं अप्रवासी पक्षी देख सकते हैं। मेरा सुझाव है कि आप दक्षिण गोवा के मायना जैसे शांत ग्रामीण भागों में पदभ्रमण करें। विशेषतः प्रातःकाल में आपको यहाँ अनेक प्रकार के पक्षियों के दर्शन होंगे।
रोमांचक पदभ्रमण
यदि आप पश्चिमी घाटों एवं अन्य छोटे-बड़े पहाड़ियों पर चढ़ना चाहते है अथवा वनीय क्षेत्रों में सुनियोजित रोमांचक पदयात्रा करना चाहते हैं तो गोवा राज्य में विभिन्न प्रकार के रोमांचक पदयात्राएं आयोजित किये जाते हैं।
रीस मागोस दुर्ग जैसे अनेक सार्वजनिक स्थलों पर गोवा के सुपुत्र एवं लोकप्रिय व्यंगचित्रकार मारिओ मिरांडा के व्यंगचित्र प्रदर्शित किये गए हैं। उनका प्रत्येक व्यंगचित्र स्वयं में एक व्यंगकथा कहता है।
इनमें से आपकी रूचि किन किन में है? दक्षिण गोवा में अपनी छुट्टियों का सर्वाधिक आनंद उठायें।
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